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डर शहर बुजुर्ग बक्श वक़्त मोबाइल अश्क परेशां आज़ाद हिंदी कविता क्यू है दुश्मन बुढापा खुद उड़ता पड़ाव तनहाइयों कौन है बेचैन किसलिए है

Hindi परेशां है Poems