परेशां घायल बुढापा वक़्त आज़ाद पड़ाव हिंदी कविता बेचैन है भूख तनहाइयों अश्क बक्श कमाल दुश्मन रहा है उड़ता क्यू है खुद किसलिए है

Hindi परेशां है Poems